गुना। जिले में शासकीय भूमि पर अतिक्रमण के खिलाफ जिला प्रशासन की मुहिम को नागरिकों की सराहना मिल रही है। प्रशासन द्वारा लगातार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है, लेकिन कुछ लापरवाह अधिकारियों और कर्मचारियों की कार्यशैली इस अभियान को कमजोर कर रही है। ऐसा ही एक ताजा मामला बमोरी तहसील की ग्राम पंचायत हमीरपुर का सामने आया है।
हमीरपुर के शासकीय प्राथमिक विद्यालय को आवंटित भूमि पर अतिक्रमण की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज की गई थी। शिकायत के अनुसार, ग्राम हल्का पटवारी द्वारा शिकायतकर्ता पर शिकायत बंद करने का दबाव बनाया गया। जब शिकायतकर्ता ने दबाव के आगे झुकने से इनकार कर दिया, तो पोर्टल पर शिकायत का झूठा निराकरण दर्ज कर दिया गया। इसके तहत शिकायत को हल कर दिया गया बताते हुए शिकायतकर्ता के संतुष्ट होने की झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
शिकायतकर्ता को जब इस धोखाधड़ी की जानकारी मिली, तो उसने पोर्टल पर जाकर असंतोष दर्ज कर वरिष्ठ अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की।
हल्का पटवारी की भूमिका पर सवाल
मामले में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि ग्राम हल्का पटवारी ने शिकायत का गलत निराकरण करके किस अतिक्रमणकारी को बचाने का प्रयास किया। क्या हल्का पटवारी की यह कार्रवाई प्रशासन की मुहिम को कमजोर करने की साजिश है?
शिकायतकर्ता ने वरिष्ठ अधिकारियों से मामले की निष्पक्ष जांच और दोषी कर्मियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और अतिक्रमण के खिलाफ जारी मुहिम को और सुदृढ़ बनाने के लिए क्या प्रयास करता है।
प्रशासन से उम्मीद की जा रही हैं कि ऐसी लापरवाही और भ्रष्टाचार पर कठोर कदम उठाए जाएं, ताकि अतिक्रमण विरोधी अभियान सही दिशा में आगे बढ़ सके और सरकारी संपत्तियों की रक्षा हो सके।